Wednesday, May 5, 2010

जन्मदिन

जन्मदिन
मौका है जश्न का या मातम का,
ये कभी समझ नहीं पाया
जश्न इस बात का की तमाम मुश्किलों,परेशानियो,
अस्तित्व पर प्रश्नचिह्न लगाने वाली परिस्थितियों के बावजूद
कायम हैं,
या फिर मातम
की मौत की तरफ एक जीना और चढ़ गए...
जन्मदिन ही क्यों,
ज़िन्दगी के मायने भी क्या समझ पाया है कोई???
कभी जैसे गर्मी की छुट्टियों में बिना आरक्षण
ढेरो सामान के साथ
हिन्दुस्तानी रेल में एक जगह से दूसरी जगह का लम्बा सफ़र
कभी जैसे हवाई झूले का उतर चढ़ाव
जिसमे चीख डर से निकलती है या उत्साह से
ये खुद को भी मालूम नहीं होता!!!!!!