Wednesday, May 12, 2010

बुजुर्गो ने कहा है

बुजुर्गो ने कहा है
वक़्त अच्छा हो या बुरा, बदलता जरुर है
किस्मत का सिक्का खोटा हो या खरा
एक न एक दिन चलता जरुर है
किस्मत कभी बदलती नहीं
बस ठिकाना बदलता है
कही काम करती है चुटकी
कही हथौड़ा चलता है
फटी हुई पतलून पर लग सकता है पैबंद
वीराने टापू पर भी 
रहने का हो सकता है प्रबंध
हालातो से समझौते का जुगाड़ जमाना होता है
नसीब ही बुरा है 
ये बेबुनियाद बहाना होता है
कैलेंडर पे छपा हुआ गीता का सार पढो तुम
लो औज़ारो को हाथ
औ खुद अपना आकार गढ़ों तुम
तप जाती जब धरती पूरी
तो घनश्याम पिघलता जरूर है
वक़्त अच्छा हो या बुरा
बदलता जरूर है!