Sunday, April 11, 2010

रात अकेली अकेला मैं

रात अकेली अकेला मैं
बिस्तर पर बैठा हुआ
कभी देखूं आगे बढती हुई घडी को
कभी पन्ने फड़फड़ाती किताब
कभी अतल में झांकूं कुछ सोचने लग जाऊं
फिर खोलकर कापी कुछ लिखने बैठ जाऊं
सामने बजता हुआ रिकॉर्ड मुझे कुछ सुना रहा है
देखकर मुझे परेशान वो गुनगुना रहा है
हटाता हूँ उससे कान
कमरे में फिर नज़र घुमाता हूँ
टिकती नहीं कहीं वो खुद को
फिर पहले के हालत में पाता हूँ
कुछ कार्टूनों कुछ खिलाडियों की पपड़ी में चिपकी हुई
तस्वीरों के बगल में फड़फड़ाता हुआ कैलेंडर
मुझे बता रहा है
की मेरी हलाली का दिन नज़दीक आ रहा है
पर मुझे उसका डर नहीं इंतज़ार है
मौत से जूझने का मेरा पहले से ही इकरार है
हूँ अकेला अभी पर लम्बा नहीं अकेलापन
कुछ ही देर में मौत के साथ महफ़िल जमेगी
फिर उस घडी को किताब को
बाजे को कैलेंडर को
मुंह चिढाता हुआ
महबूबा के साथ मैं रूखसत हो जाऊँगा

तुम ही हो वो

तुम ही हो वो
जिसे जानने से पहले
मैं खुद से अनजान था
तुम ही हो वो
जिससे मिलने से पहले
बेगाना सारा जहां था
तुम ही हो वो
जिसने मुझे बताया कि
सपने क्या होते हैं
तुम ही हो वो
जिसने मुझे बताया
ये अपने क्या होता हैं
तुमसे ही तो मैंने सीखी
जीवन की परिभाषा
तुमसे मिलने के बाद ही जागी
है हर एक अभिलाषा
तुमसे मिलकर ही मुझको
जीवन का उद्देश्य मिला है
तुझसे मिलकर ही मुझको
खुश रहने का सन्देश मिला है
अगर कोई मुझसे पूछे ये
कौन तुम्हे है प्रियतम
दे दोगे किसके लिए तुम
हंस कर के अपना जीवन
मुख से नहीं और निकलेगा
मेरे कोई भी उत्तर
हाँ, तुम ही हो जिसे मैं चाहूं
निज जीवन से बढ़कर

ज़िन्दगी एक ऐसी पहेली है

ज़िन्दगी एक ऐसी पहेली है
उसे जितना सुलझाओगे
उतना उलझते जाओगे
उलझन की जलन इतनी बढ़ जाएगी
कि उसमें खुद ही जल जाओगे
हर चीज एक ऐसा सवाल है
जिसका जवाब किसी के पास नहीं
ख़ुशी नाम कि कोई चीज नहीं
और गम का कोई अंत नहीं
ये सवाल ज़िन्दगी से बड़े हो जाते हैं
हम बस उन्ही में खो जाते है
मैं भी उनमें से एक हूँ
दिल से सीधा सादा और नेक हूँ
फिर भी मुझ पर उठते कई सवाल हैं
मेरे नाम को लेकर मचते कई बवाल हैं
जब जब भी ऐसा होता है
मैं हैरान हो जाता हूँ
फिर अपने को कोसता हुआ
उन उलझनों में खो जाता हूँ

तुम ऐसे क्यों हो

तुम ऐसे क्यों हो
तुम्हारी बातें मेरी आत्मा को झिंझोड़ जाती हैं
तुम्हारी बातें मेरे वजूद को हिला जाती हैं
तुम्हारी बातें मुझे सोचने पर मजबूर करती हैं
जो मैं नहीं चाहता
मैं बुरा हूँ बदनाम हूँ
क्यों तुम मुझे बदलने की कोशिश करते हो
क्यों मेरे बाबत दूसरों से बातें करते हो
जानते नहीं
कि कीचड़ में पाँव मारने से अपना ही दामन मैला होता है
मैं तुम्हारी आशाओं पर खरा नहीं उतर सकता
नहीं पहुँच सकता वहाँ तक
जहां तुम मुझे पहुँचाना चाहते हो
आस टूटने से दुःख होता है
तुम्हे दुःख ही मिलेगा
ज़िन्दगी में पहली दफा मुझे किसी ने आदमी समझा है
मैं उसे भी नहीं खोना चाहता
इसीलिए चाहता हूँ कि तुम दूर ही रहो
तुम दूर रहोगे तो मुझे अपने
अस्तित्व का आभास होता रहेगा
जो तुम्ही ने मुझे दिया है
नहीं चाहता कि तुम्ही उसे ले लो
मैं तुम्हारे प्यार और विश्वास के काबिल नहीं
मुझसे दूर रहो !

तुम्हारे और मेरे बीच

तुम्हारे और मेरे बीच
जाने कौन सी ऐसी कड़ी है
जो हम दोनों को एक दुसरे से जोड़े हुए है
तुम्हारे अन्दर क्या है
मुझे नहीं पता
मेरे अन्दर क्या है
तुम्हे नहीं पता
पर फिर भी ऐसा लगता है कि
एक दूसरे के बारे में हम सब कुछ जानते हैं
जब जब कोई जलजला आता है
और लगता है कि अब हम
टूट जायेंगे बिखर जायेंगे
पर मुझे लगता है तब वो कड़ी
जो हमें जोड़े हुए है
और मजबूत हो जाती है
इसी तरह से कारवां बढ़ता जा रहा है
जैसे जैसे दूरियां बढ़ रही हैं
कड़ी मजबूत हो रही है
मजबूत होती रहेगी