Sunday, April 11, 2010

तुम ऐसे क्यों हो

तुम ऐसे क्यों हो
तुम्हारी बातें मेरी आत्मा को झिंझोड़ जाती हैं
तुम्हारी बातें मेरे वजूद को हिला जाती हैं
तुम्हारी बातें मुझे सोचने पर मजबूर करती हैं
जो मैं नहीं चाहता
मैं बुरा हूँ बदनाम हूँ
क्यों तुम मुझे बदलने की कोशिश करते हो
क्यों मेरे बाबत दूसरों से बातें करते हो
जानते नहीं
कि कीचड़ में पाँव मारने से अपना ही दामन मैला होता है
मैं तुम्हारी आशाओं पर खरा नहीं उतर सकता
नहीं पहुँच सकता वहाँ तक
जहां तुम मुझे पहुँचाना चाहते हो
आस टूटने से दुःख होता है
तुम्हे दुःख ही मिलेगा
ज़िन्दगी में पहली दफा मुझे किसी ने आदमी समझा है
मैं उसे भी नहीं खोना चाहता
इसीलिए चाहता हूँ कि तुम दूर ही रहो
तुम दूर रहोगे तो मुझे अपने
अस्तित्व का आभास होता रहेगा
जो तुम्ही ने मुझे दिया है
नहीं चाहता कि तुम्ही उसे ले लो
मैं तुम्हारे प्यार और विश्वास के काबिल नहीं
मुझसे दूर रहो !

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