Sunday, April 11, 2010

तुम ही हो वो

तुम ही हो वो
जिसे जानने से पहले
मैं खुद से अनजान था
तुम ही हो वो
जिससे मिलने से पहले
बेगाना सारा जहां था
तुम ही हो वो
जिसने मुझे बताया कि
सपने क्या होते हैं
तुम ही हो वो
जिसने मुझे बताया
ये अपने क्या होता हैं
तुमसे ही तो मैंने सीखी
जीवन की परिभाषा
तुमसे मिलने के बाद ही जागी
है हर एक अभिलाषा
तुमसे मिलकर ही मुझको
जीवन का उद्देश्य मिला है
तुझसे मिलकर ही मुझको
खुश रहने का सन्देश मिला है
अगर कोई मुझसे पूछे ये
कौन तुम्हे है प्रियतम
दे दोगे किसके लिए तुम
हंस कर के अपना जीवन
मुख से नहीं और निकलेगा
मेरे कोई भी उत्तर
हाँ, तुम ही हो जिसे मैं चाहूं
निज जीवन से बढ़कर

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