जाने तुमने कह दिया कैसे
न मिले तो दोष हमारा होगा
हमारी चाहत के बिना
न अपना गुज़ारा होगा
कैसे समझाएँ तुमको कि
सब कुछ इतना आसान नहीं होता
लोगों के हुजूम का जो ढाँचा है
वह इतना बेजान नहीं होता
सांस भी लो तो खड़े हो जाते हैं सवाल
धडके जो दिल तो मच जाता है बवाल
फिर ये तो दो आत्माओं के मिलने की बात है
न ही अपने ऊपर किसी अपने का हाथ है
फिर कटेगी कैसे वो डगर जिससे
खुद हम ही अनजान हैं
कहना तो ठीक है
करना न आसान है
तुम्हारा भगवान् भी न जाने
क्या अंजाम हमारा होगा
जाने तुमने कह दिया कैसे
न मिले तो दोष हमारा होगा
Saturday, April 17, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment