ऐ मेरी रुकी हुई कलम बता
तुझे किस विषय की तलाश है
किस चीज की कमी है तुझे
सब कुछ तो तेरे पास है
कहीं दर्द-ओ-गम है छुपा हुआ
कहीं पर ख़ुशी अथास है
कहीं 'अहा' का उदघोष है
कहीं पर निकलती आह है
कहीं प्यार का सागर भरा
फूलों का गुलिस्तान है
काँटें ही काँटें हैं कहीं
नफरत का रेगिस्तान है
कहीं है घृणा बिछी हुई
कोई हास्य से सराबोर है
हर कण में है विषय निहित
कुछ अर्थ तो चारो ओर है
है क्या अजब ये बात फिर भी
बुझती नहीं तेरी प्यास है
ऐ मेरी रुकी हुई कलम बता
तुझे किस विषय की तलाश है
Saturday, April 17, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment