जब कभी मैं तुम्हारी यादों से घिरता हूँ
तब अपनी रचनाओं में
तुम्हे खोजने लगता हूँ
क्योंकि उनके रेशे रेशे में तुम
समाई हुई हो
उनका हर एक शब्द मुझे
तुम्हारी मौजूदगी का एहसास दिलाता है
मन में तुम्हारी तस्वीर
कुछ इस कदर बनी हुई है
कि उसकी छवि से चाहकर भी
मैं अपनी नज़रें हटा नहीं पाटा
जब जब दिल तुम्हारा साथ पाने को तड़पता है
मैं तुम्हारी उस तस्वीर को देखता हुआ दिलासा देता रहता हूँ
कि तुम सिर्फ और सिर्फ मेरी हो
और मेरा दिल मानता है
कि मैं सच कह रहा हूँ
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