Tuesday, April 13, 2010

जब कभी मैं तुम्हारी यादों से घिरता हूँ

जब कभी मैं तुम्हारी यादों से घिरता हूँ
तब अपनी रचनाओं में
तुम्हे खोजने लगता हूँ
क्योंकि उनके रेशे रेशे में तुम
समाई हुई हो
उनका हर एक शब्द मुझे
तुम्हारी मौजूदगी का एहसास दिलाता है
मन में तुम्हारी तस्वीर
कुछ इस कदर बनी हुई है
कि उसकी छवि से चाहकर भी
मैं अपनी नज़रें हटा नहीं पाटा
जब जब दिल तुम्हारा साथ पाने को तड़पता है
मैं तुम्हारी उस तस्वीर को देखता हुआ दिलासा देता रहता हूँ
कि तुम सिर्फ और सिर्फ मेरी हो
और मेरा दिल मानता है
कि मैं सच कह रहा हूँ

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