Tuesday, April 13, 2010

जानता नहीं बातों का मेरी

जानता नहीं बातों का मेरी
असर क्या है
जो आते हैं ये
शामो-सहर क्या है
ऊँची ही रही नज़र
ऊँचा ही रहा सर
फिर भी अनजान हूँ
मेरी डगर क्या है

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