सपने, अनदेखे अनजाने
जिनका सच से सम्बन्ध नहीं
क्यों आँखों में घिर आते हैं
फिर लगने लगती स्वर्ग ज़मीं
आम ज़िन्दगी के तनाव से
दूर कहीं ले जाते हैं
ये दिल क्यों डूबने लगता है
जब दूर ये चले जाते हैं
मैं खो गया हूँ इन सपनों में
मैं भूल गया हूँ जो गम है
इस ज़िन्दगी में है केवल दर्द
है लगा टूटने ये भ्रम है
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