Monday, April 12, 2010

तुम ही वो एकलौती शख्स हो

तुम ही वो एकलौती शख्स हो
जिससे मैं नफरत करना चाहता हूँ
पर तुम्हारे लिए मेरा प्यार
दिन-ब-दिन गहरा होता जा रहा है
मैं तुम्हे एक बुरा सपना समझ कर
भूल जाना चाहता हूँ
पर हर बार तुम एक हक़ीकत बन कर
मेरे सामने आ जाती हो
तुम मेरी बदनामी का सबब बनी
फिर भी मैं अपना नाम तुमसे जोड़ना चाहता हूँ
मैं तुम्हे अपने दिल से निकाल फेंकना चाहता हूँ
पर तुम्हारी यादें हर दिन मज़बूत होती जा रही है
कैसे मैं समझाऊँ खुद को
कि तुम एक अनदेखा ख्वाब हो
जो कभी पूरा नहीं हो सकता
क्या मैं बताऊँ अपने दिल को
कि तुम्हारे दिल में क्या है
काश तुम कभी समझ पाती कि
कितना मुश्किल होता है
उसे देखकर ये कह देना
कि मैं उसे नहीं जानता
जिसे तुम सबसे ज्यादा चाहते हो

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