Saturday, April 10, 2010

चारों ओर के शोर से

चारों ओर के शोर से
परेशानियों के जोर से
जब हार कर एक पनाह चाहता हूँ
तो खुद को अकेला पाता हूँ
इतना अकेला कि उस अकेलेपन में
खुद ही खो जाता हूँ
इसलिए निराश हूँ
उदास हूँ हताश हूँ

No comments:

Post a Comment