Saturday, April 10, 2010

जब कभी मन करता है

जब कभी मन करता है
कि कुछ लिखूं
तब खुद को विषयहीन पाता हूँ
पर कभी कभी मन में विचारों का
ऐसा उद्वेलन होता है
कि मैं हैरान हो जाता हूँ
उनके प्रभाव को उस अनुभव को
शब्दों में परिभाषित नहीं कर पाता हूँ
फिर सोचता हूँ कि जब लिखता हूँ
तो उसका मतलब क्या होता है
मेरे मन का मंथन किसी को क्या देता है
तब सोचता हूँ कि लिखना बेकार है
पर ये कैसे भूल सकता हूँ मैं
कि लिखने से मुझे प्यार है
बस सिर्फ इसीलिए लिखता ही जा रहा हूँ
कैसी क्यों और किसके लिए लिख रहा हूँ
ये जानने में खुद को असमर्थ पा रहा हूँ

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