Monday, April 26, 2010

कविता दे देती है

कविता दे देती है
खूबसूरती को एक ज़बान
कविता बना देती है
मूक पत्थर को इंसान
कविता छूकर बना देती है
मिटटी को सोना
कविताओं में समा जाते भाव सारे
हँसाना हो या रोना
कविता नहीं
महज शब्दों का प्रसार है
कोमल भावनाओं का
कविता ही एक हथियार है
कविता ही तो है ये जीवन
मृत्यु का भी कविता ही श्रृंगार है
कविता की सीमा नहीं कोई
इसका विस्तार अपार है

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