Monday, April 26, 2010

गुलशन में देख गुल-चहर

गुलशन में देख गुल-चहर
दिल गुल-ए-गुलज़ार हो गया
मैं गुलफाम का अपनी
गुल फिशानी बयाँ करूँ तो करूँ कैसे
वक्त ही कहाँ है
देखो, गुरूब का करार हो गया

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