Friday, April 16, 2010

तूफ़ान सरीखी हवाएं

तूफ़ान सरीखी हवाएं
ये नया फरमान ला रही है
मुसलाधार बारिश
क्यों तुम्हारी याद दिला रही है
काफी दिनों से तो ऐसा हुआ न था
तुम्हारी कमी के एहसास ने
अब तक छुआ न था
फिर क्यों ये बदलता मौसम
मुझे बदलता जा रहा है
अपने बहाव में बहाकर मुझे
तुम्हारे पास ला रहा है
ये अनसुलझे अनबुझे सवाल
एक हकीक़त बयान करते हैं
कि मेरे सपने अभी भी तुमसे
जुदा होने के ख़याल से डरते हैं
तुम अब भी मेरी साँसों में समाई हो
अब भी तुम्हारे नग़में
मेरे ख़्वाबों में बसते हैं

No comments:

Post a Comment