Friday, April 16, 2010

जैसे-जैसे दिन घटते जा रहे हैं

जैसे-जैसे दिन घटते जा रहे हैं
तुम मेरे करीब और करीब आती जा रही हो
इन बचे हुए पलों का एक एक लम्हा
मैं तुम्हारे तसव्वुर में गुज़ारना चाहता हूँ
मुझे पता है तुम मेरे आस पास नहीं हो
फिर भी मुझे हमेशा तुम्हारी मौजूदगी का
एहसास होता रहता है
कल तुम तो मुझसे दूर हो सकती हो
पर तुम्हारी यादें हमेशा मेरे पास रहेगी
तुमसे दूर जाने से पहले
मैं अपने दिल को
तुम्हारी यादों से इस कदर भर लेना चाहता हूँ
की उसमे किसी और चीज़ के लिए जगह न हो
तुम तुम बस तुम ही उसमें रहो
मेरा हर एक पल तुम्हारा हो
मेरा हर एक ख़याल तुम्हारा हो
मेरे गम मेरी खुशियाँ
सब तुम्हारे सिर्फ तुम्हारे हों

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