आज पहली बारिश ने
अपनी बूंदों से जग को सराबोर कर दिया
गिरते पानी के अनजाने रंग ने
अचानक ही सबको खुद के रंग में रंग दिया
हर तरफ एक सा ही भीगा हुआ माहौल था
हर तरफ नमी थी गिरती बूंदों का उछाल था
हर चीज़ नए रूप में दिखने लगी एक सी
हर भीगे इंसान की सूरत और सीरत
जैसे दिखने लगी नेक सी
पहली बारिश ने हवा में उडती धूल को धो दिया
तवे सी तपती पथरीली ज़मीन को
बौछारों ने सुखद ठंडक में डुबो दिया
पर जाने हमारे दिलों में वो ठंडक कब आएगी
जो हमें इस वतन में अमन से जीना सिखलाएगी
जाने वो बारिश कब आएगी
जो दिलों में जमी गर्द को धो जाएगी
कब तक हम एक दूसरे के खून से नहाते रहेंगे
कब देश से ये नफरत का तूफ़ान जायेगा
जाने कब प्यार लिए सुहाना सावन आएगा
Friday, April 16, 2010
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