Friday, April 16, 2010

आज पहली बारिश ने

आज पहली बारिश ने
अपनी बूंदों से जग को सराबोर कर दिया
गिरते पानी के अनजाने रंग ने
अचानक ही सबको खुद के रंग में रंग दिया
हर तरफ एक सा ही भीगा हुआ माहौल था
हर तरफ नमी थी गिरती बूंदों का उछाल था
हर चीज़ नए रूप में दिखने लगी एक सी
हर भीगे इंसान की सूरत और सीरत
जैसे दिखने लगी नेक सी
पहली बारिश ने हवा में उडती धूल को धो दिया
तवे सी तपती पथरीली ज़मीन को
बौछारों ने सुखद ठंडक में डुबो दिया
पर जाने हमारे दिलों में वो ठंडक कब आएगी
जो हमें इस वतन में अमन से जीना सिखलाएगी
जाने वो बारिश कब आएगी
जो दिलों में जमी गर्द को धो जाएगी
कब तक हम एक दूसरे के खून से नहाते रहेंगे
कब देश से ये नफरत का तूफ़ान जायेगा
जाने कब प्यार लिए सुहाना सावन आएगा

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