Friday, April 9, 2010

कवितायेँ मेरी क्या है

कवितायेँ मेरी क्या है
कह नहीं सकता
कभी दिल का हाल
कभी दिमाग का तनाव
कभी मन की जलन और कभी
कुछ लिखते चले जाने की चाहत
भावो को शब्दों में संजोने में
कभी सफल रहता हूँ
कभी भटक जाता हूँ
भटक जाने पर भी जाने क्यों
लिखता ही चला जाता हूँ
कह नहीं सकता कि हर वो चित्र
जो मेरी कलम खींचती है
अर्थपूर्ण हो
क्या पता जो लिखता हूँ
वह लोक अलोक की सीमा से परे हो
सत्य से सारोकार न रखता हो
पर एक बात सच है
जिस पर मुझे शक नहीं
वो ये कि
मैं एक कवि हूँ

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