Friday, April 9, 2010

उसने बना लिया है अमृत

उसने बना लिया है अमृत
नाली के पानी को
आग दे दी भूख की
अपनी जवानी को
कतरन के वस्त्र 'रेशमी'
उसके शरीर पर
महलों का बादशाह है
सींकों का उसका घर
कहते हैं सब उसको ग़रीब
पर वो तो अमीर है
आँखों के मोतियों की
उसके पास भीड़ है
बेसरम के झाड सा
उसका ज़मीर है
सबकी ये बात झूठ है
कि वो फ़कीर है
वह चीखता है लोटता है
अपने ही हाल पर
मानो रहा हो गा वो
मस्ती की ताल पर
परिवार है बड़ा भरा
बच्चे हैं दर्जनों
इससे बड़ी ख़ुशी की
क्या बात सज्जनों
वो बात है अलग कि
खाने को नहीं है कुछ
दारु को देखते ही सारी
भूख जाती बुझ

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