Friday, April 9, 2010

दोस्ती वह भाव जिसमें दोस्त का कल्याण हो

दोस्ती वह भाव जिसमें दोस्त का कल्याण हो
वह दोस्त कैसा दोस्त है जो स्वयं नादान हो
दोस्त ग़र जाये गलत तो खुल के उससे कह सके
मन हो उसका यों सहज कटु वाक्य को भी सह सके
जो दोस्त कि मुस्कान को समझे सदा अपनी ख़ुशी
उसका हृदय फट जाये जब दोस्त को हो सुख नहीं
ले ले जो उसके ग़म सभी दे दे उसे अपनी हंसी
मुश्किलों में ही दोस्त कि पहचान होती है सही
दोस्ती संसार में कुदरत का एक वरदान हँ
जो पाले सच्चा दोस्त वह सचमुच ही भाग्यवान है

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