दोस्ती वह भाव जिसमें दोस्त का कल्याण हो
वह दोस्त कैसा दोस्त है जो स्वयं नादान हो
दोस्त ग़र जाये गलत तो खुल के उससे कह सके
मन हो उसका यों सहज कटु वाक्य को भी सह सके
जो दोस्त कि मुस्कान को समझे सदा अपनी ख़ुशी
उसका हृदय फट जाये जब दोस्त को हो सुख नहीं
ले ले जो उसके ग़म सभी दे दे उसे अपनी हंसी
मुश्किलों में ही दोस्त कि पहचान होती है सही
दोस्ती संसार में कुदरत का एक वरदान हँ
जो पाले सच्चा दोस्त वह सचमुच ही भाग्यवान है
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