Friday, April 9, 2010

जाने क्यों मुझे अपनी हर पसंद

जाने क्यों मुझे अपनी हर पसंद
नापसंद लगने लगी है
हर भौतिक चीज से विरक्ति-सी हो गयी है
ये सब क्या है क्यों है इसमें अन्जान हूँ
बस इतना ही जानता हूँ कि
इस माहौल से मुझे घृणा हो गई है
हर बात कितनी कठिन सी है
हर लम्हा कितना तना हुआ
ये ज़िन्दगी अब तो मेरे लिए
एक पहेली बन गई है
ससे मुश्किल यही बात कि
मुश्किल का ही पता नहीं
इस मुश्किल कि मुश्किल अब मेरे
अस्तित्व से भी बड़ी हो गई है

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