माना अभी धुंधला सवेरा है
काले बादलों ने सूरज को घेरा है
इससे सूरज बुझा तो नहीं है
आग उसमें बाकी है अभी
किरणों का राग बाकी है अभी
बस,
हवा के एक झोंके क़ी दरकार है
ये तो सब को पता है कि
हवा, बादल कि सबसे पुरानी तकरार है
रुको मत, झुको मत, निराश मत हो
पवन वेग से आता ही होगा
रखो भरोसा वो झोली में अपनी
उपहार प्रकाश का लाता ही होगा
Friday, April 30, 2010
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