जब से मैंने तुमको जाना
तब से जाना प्यार क्या है
होती है क्या कमसिन खुशबू
जाना होती बहार क्या है
इस अनजाने निष्ठुर जग में
जैसे तुमसे ही कोमलता आई है
तुमसे ही रोशन हैं सारे नज़ारे
दुनिया ने तुमसे ही ख़ुशी पाई है
मैं तो था जैसे बिखरा-बिखरा
तुमने ही मुझको आकार दिया
तुमने ही जीना सिखलाया
जीने को ज़रूरी प्यार दिया
Friday, April 30, 2010
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