Sunday, April 18, 2010

तुम्हे सताता है डर जुदाई का

तुम्हे सताता है डर जुदाई का
ये की
ज़माना कही कर न दे अलग हमें
पर जरा सोंचो
क्या कभी फूल से खुशबू
सूरज से किरण
गंगा से पवित्रता
राधा से किशन
जुदा हो सकते हैं ?
वक्त के थपेड़ो में खो सकते हैं ?
अरे ! तुम मेरी साँस हो
मैं, तुम
और तुम मैं हो
बिना एक-दूजे के
हमारा वजूद ही कहाँ है
और जब वजूद ही नहीं
तब जुदाई का सवाल ही कहाँ है !

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