Sunday, April 18, 2010

खेलते थे साथ जब हम, तुम हमेशा मार खाते

खेलते थे साथ जब हम, तुम हमेशा मार खाते
जीतता था मैं हमेशा और तुम हार जाते
मार खा और हार कर जब आँखों से आंसू तुम बहाते
डर कर उन्हें मैं पोंछता था
खेलते लड़ते झगड़ते हम बड़े होते गये
हर झड़प के बाद फिर से मिलकर खड़े होते गये
जब कभी थे दूर जाते देते तोहफे एक दुसरे को
चहक जाते पाकर एक मीठी गोली भी
ये याद आता है हमेशा
तुम विचारों से बड़े थे तुम बड़े हो गये जल्दी
मैं रोज उलझन नई लेकर था तुम्हारे पास आता
प्यार से सुलझाते उन्हें तुम
ये याद आता है हमेशा
होता कभी मायूस मैं तो खोज लाते थे ख़ुशी जाने कहाँ से
प्रथमतः परिचय तुम्हीं ने था कराया प्रेम के कोमल जहाँ से
प्यार की बारिश में तुमने फिर तो मुझको यों भिगोया
मैं अब तलक न सूख पाया
ये याद आता है हमेशा

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