Sunday, April 18, 2010

ज़िन्दगी ने मुझे बुलाया

ज़िन्दगी ने मुझे बुलाया
गले से लगे प्यार जताया
ढेरों रास्ते रख दिये सामने
हर राह में एक ख़ास बात थी
किसी में सुहाना दिन था
किसी में रंगीली रात थी
ज़िन्दगी की ऐसी दिलदारी देख
मैं हैरानी में पड़ गया
अचानक से इतनी खुशियाँ मिल गई
की खुशियों से ही डर गया
ग़म से याराना था मेरा
मुश्किल राहों ने गोद में खिलाया था
सच है उन राहों ने दी मुझे ठोकरें
पर ठोकरें खा सम्हलना भी सिखाया था
कैसे छोड़ता ऐसे अपनों का साथ
कैसे बेच देता 'सच्ची खुशियों' को
अनजाने सपनों के हाथ
ज़िन्दगी से खेला जुआ मैंने
लगा दी 'ज़िन्दगी' दांव में
छोड़ दी खुशियों की धूप
खड़ा रहा ग़मों की छाँव में
ऐ ग़मों,
प्यार से मुझे गले से लगा लो
देखो ये खुशियाँ डरा रही हैं
मुझे अपने साये में छुपा लो

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