आज दिल में दिन भर
तुम्हारा ही ख़याल रहा
मन में उमड़ता-घुमड़ता
तुम्हारा ही एक सवाल रहा
खोकर के कुछ पाया तुमको
या पाकर के खो डाला
क्या कहूं
कि फूटी है किस्मत मेरी
या कि, मैं हूँ किस्मतवाला
मैं 'ख्वाबों में' भी 'ख्वाबों में'
तुमको ही देखा करता हूँ
तुम हो जाओ न दूर कहीं
इसलिए जागने से डरता हूँ
Sunday, April 18, 2010
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