रंग गया हर कोई आज मस्ती के रंग में
बदल गयी चालें सबकी, रमे सब अपने ही ढंग में
कल थी जली बुराई आज अच्छाई कि धूम है
निखरे निखरे लगते सारे चेहरे मासूम हैं
बसंती हवा झूम-झूम गीत गा रही है
सोंधी-सोंधी खुशबू दिल की हलचल बढ़ा रही हैं
मिट गई सब दूरियाँ बरसता सब दूर प्यार है
मौसम ये ऐसा कि अन्दर बाहर हर जगह बहार है
कहीं महकती भाँग तो कहीं बहकती फाग
मजबूर हो गए झूमने को ऐसा है ये राग
भूलें गंदी राजनीति भूलें गंदे माहौल को
कर दें धराशायी अमन के दुश्मनों की चाल को
आओ इस होली में हम सब प्यार का रंग लगायें
ऐसा जो सदियों तक रिश्तों को रंगीन बनाएं
Sunday, April 18, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment