सोचता हूँ कैसा वो सफ़र होगा
एक लम्बी सी डगर होगी
और तू मेरा हमसफ़र होगा
पथरीला रास्ता
बिछ जायेगा कमसिन फूलों से
तेरी मोहब्बत का
जादुई ये असर होगा
तन्हाई लगेगी बदलने महफ़िलों में
खुशियों का नूर तुझको नज़र होगा
रहेंगे एक-दूजे की बाहों में
ता-उम्र हम-तुम
हर लम्हा ज़िन्दगी का अपनी
यूं ही प्यार से भीगा हुआ बसर होगा
Sunday, April 18, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment