Sunday, April 18, 2010

कमल की कोमलता

कमल की कोमलता
गंगाजल की पवित्रता
सूर्य का तेज
चन्द्रमा की शीतलता
नदी का प्रवाह
पवन का बहाव
रजनीगंधा की सुगंध
माँ की ममता
नवजात बच्चे की मासूमियत
गाय की सरलता
हिरण की चपलता
वट वृक्ष की स्थिरता
इन सबको मिला कर
एक मूरत बनी
और जब उसमें
मेरे प्राण डाले गए
तब तुम बनी !

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