एक अनुभूति
अवचेत ह्रदय में संवेदना भरती सी
एकाएक
आँखों के सामने आ गई
निधियाँ लुटाती
श्री बरसाती
अंतर में छा गई
हतप्रभ मैं
चमत्कृत जग था
कि इतनी सुन्दरता कहाँ छिपी थी
किस मिट्टी के टीले के नीचे
ऐसी मुग्धा मणि दबी थी
उसके तेज से
विश्व प्रकाशवान हो उठा
उसे देखने मात्र से ही
यह जीवन अर्थवान हो उठा
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