काली अँधेरी रातों में अकेला बैठकर
तुम्हें याद करता हूँ
अपने रूठे हुए खुदा से
तुमसे मिलने की फ़रियाद करता हूँ
भीग जान चाहता हूँ
तुम्हारी नज़रों की रोशनी से
तुम नहीं हो तो ये आलम है
जलन महसूस होती है चाँदनी से
आ जाओ मेरे दामन में देखो
तुम्हारे लिये एक आशियाँ बनाया है
अपने जिगर का लहू देकर
उसके फूलों को सींचा है सजाया है
Sunday, April 18, 2010
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